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श्लोका अंबानी: मातृत्व, मक़सद

"मातृत्व से लेकर मिशन तक: श्लोका अंबानी की प्रेरक यात्रा"
20 जुलाई 2025 by
श्लोका अंबानी: मातृत्व, मक़सद
Blogsky, Roshan

✨ श्लोका अंबानी: मातृत्व, मक़सद और ConnectFor की प्रेरणादायक सोच

1. “मम्मा को ऑफिस जाना है” – मातृत्व और करियर का संतुलन

मासूम मीनावाला के पोडकास्ट एपिसोड में श्लोका ने खुलकर साझा किया कि कैसे वह एक सक्रिय माँ और समाज सेविका है। उन्होंने बताया कि अपने बच्चों पृथ्वी और वेदा को समझाना कि “जैसे तुम स्कूल जाते हो, वैसे मम्मा को ऑफिस जाना है,” उनके लिए गर्व की बात है ABP Live+9Times Now Navbharat+9आज तक+9आज तक+6Hindustan Times+6Prabhat Khabar+6। यह संदेश पितृसत्ता और जेंडर के पार जाकर दिखाता है कि जिम्मेदारी हर किसी की होती है।

2. विहित विरासत: धन नहीं, विचार

श्लोका ने स्पष्ट किया कि उनका मक़सद संपत्ति नहीं, बल्कि विचारों और आदर्शों की विरासत छोड़ना है Prabhat Khabar। उनका मानना है कि अगर बच्चे यह सीखें कि जुनून और जिम्मेदारी से काम करने से मौके बनते हैं, तो यही सबसे बड़ी विरासत है।

3. ConnectFor – “वॉलंटियरिंग का shaadi.com”

2014–15 में मित्र मनीति शाह के साथ उन्होंने स्थापित ConnectFor एक वॉलंटियर–मैचिंग प्लेटफ़ॉर्म है। आज तक इसने 1 लाख से अधिक स्वयंसेवक जुड़ाव और 1,000+ NGOs को मदद पहुंचाई है, जिससे लगभग ₹21 करोड़ मूल्य का योगदान हुआ है Times Now Navbharat+1आज तक+1Maharashtra Times+10The Economic Times+10Prabhat Khabar+10। उन्‍होंने कहा कि इसका उद्देश्य "लाभ से पहले उद्देश्य" — purpose‑first movement — के सिद्धांत को पेश करना है The Times of India

4. प्रोफेशनलिज़्म और ROI‑मॉडल

ConnectFor में उन्होंने गैर‑लाभकारी डोमेन में व्यवसायिक दक्षता लाने की कोशिश की—ROI‑इन‑आवर्स मॉडल लागू करके NGOs और स्वयंसेवकों के योगदान को मापा जा सकता है The Economic Times+9Times Now Navbharat+9Navbharat Times+9। श्लोका का दृष्टिकोण है कि सामाजिक क्षेत्र में भी प्रोफेशनलिज़्म की अत्यावश्यकता है The Economic Times+8mint+8Prabhat Khabar+8

5. पारिवारिक सहयोग का महत्व

श्लोका ने यह स्वीकारा है कि ConnectFor की यात्रा संभव नहीं होती अगर उनके पति आकाश अंबानी और परिवार का पूरा सहयोग न होता The Economic Times+15Hindustan Times+15mint+15। उनका कहना है कि परिवार सिर्फ साथ नहीं देता, बल्कि उनके काम पर गर्व भी महसूस करता है।

निष्कर्ष

श्लोका अंबानी एक ऐसी महिला हैं जो अपने व्यक्तिगत जीवन और सामाजिक जिम्मेदारियों में संतुलन साधते हुए युवा पीढ़ी को एक उद्देश्य‑पूर्ण दिशा दिखा रही हैं। “मम्मा को ऑफिस जाना है” संदेश के साथ वह बच्चों को जिम्मेदार बनाना चाहती हैं। ConnectFor के ज़रिए उन्होंने दिखाया कि समाजसेवा भावुकता से अधिक व्यावहारिक ढंग से हो सकती है। उनका यह विश्वास कि “विरासत नाम या पैसा नहीं, बल्कि सोच होती है,” वास्तव में आधुनिक, सशक्त और प्रेरणादायक है।

लगभग 450 शब्दों में तैयार यह लेख श्लोका अंबानी के जीवन के तीन स्तंभों—मातृत्व, मक़सद और सामाजिक नेतृत्व—पर केंद्रित है।

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